वो शाम भी क्या बेहतरीन थी, तेरे भीगे कवा मानो अब्र - ए - जमीं थी। मेरे तिश्ना लबों पे तेरे वो बोसे, विसाल-ए-यार भी कितनी हसीन थी। #NojotoQuote कवा- शरीर का अंग अब्र- बादल तिश्ना लब- प्यासे होंठ बोसा- चुम्मा विसाल-ए-यार- यार से मिलन