सौ बात के जवाबी इक बात बोलते हैं ! ज्ञानी महाकवि ही कविता को तोलते हैं ! हिन्दी दिवस में चलिए करते उन्हें नमन है ! बिन दक्षिणा नही जो मुँह अपना खोलते हैं ! #मार_दिया_रे_रसगुल्ला_चलाई_के (1)