आत्म परिचय किसी के बंधन में नहीं तुम किसी की आज्ञा के लिए प्रतिबद्ध नहीं तुम हो इस संसार के नवीनतम बुद्ध तुम इस संसार की हो स्वच्छंद कविता तुम रस अलंकार और प्रत्येक कविता का छंद तुम ईश्वर की आशा विश्वास और परिभाषा तुम प्रत्येक प्रश्न का उत्तर तुम हर विवाद का प्रत्युत्तर तुम