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चिरप -चिरप करती गौरेय्या पूछे रोज एक सवाल, कहाँ

चिरप -चिरप करती गौरेय्या 
पूछे रोज एक  सवाल, 
कहाँ गये वो पेड़ -पौधे 
जिसमें होती थी डाल 

फुदक फुदक जिसपे जाती थी 
घुमा नजर इधर उधर 
कीट पतंगे देखा करती 
भर लेती थी चट उदर 

हे मानव तू एक बात बता, 
हम पक्षियों से तुझे क्या बैर 
वृक्ष गहने अनमोल धरा के. 
चाहें जो सबकी खैर 

सबको मिटा धरा से, 
क्या करेगा निपट अकेले 
नीरस जीवन को कर 
नहीं चलते जिंदगी के मेले

©Kamlesh Kandpal
  #goreya