मेरे हुस्न-ए-यार के जलवों के आगे, सारे संसार के आब-ए-आईना की चमक फीकी है। इजहार-ए-इश्क करने से डर रहा है दिल, कहीं यार के चेहरे की चमक फीकी न पड़ जाए। आब-ए-आईना= दर्पण की चमक प्रिय लेखक एवं लेखिकाओं, कृपया अपने अद्भुत विचारों को कलमबद्ध कर अपनी लेखनी से चार चांँद लगा दें। ❤️ उपर्युक्त विषय को अपनी रचना में अवश्य सम्मिलित करें ❤️ केवल 2अथवा 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें ❤️ शब्द चयन उपयुक्त होना चाहिए किसी भी प्रकार का अनैतिक एवं अनुचित व्यवहार माननीय नहीं होगा। ❤️ लिखते समय मात्राओं का वह शब्द चयन का ध्यान रखें, त्रुटियांँ न करें।