याद है मुझे वो मेरा छोटा सा मैदान ना भोर की सुध ना शाम को वापस जाने का डर। मानो दुनिया जीतने की जिद्द,आंखों में छोटा सा ख़्वाब गेंद के पीछे बेफिक्र भागती मेरी चाल याद है मुझे वो मेरा छोटा सा मैदान। दोस्तों में बनाई हुई अपनी वो छोटी सी शान पड़ोसियों की डांट टीचर की मार घर देर पहोचने तलक मां की सिमटी हुई जान रात को उसकी गोद में मिटाना अपनी थकान मन में पापा से पकड़े जाने का भान याद है मुझे..... कोयल की आवाज़ आम की मीठास। जुगनुओ की चमकान, पहली बारिश पर वो सौंधी खुशबू का एहसास पर उसके जल्द रूकने का इंतजार। स्कूल की उड़ती खबरों का ज्ञान पास का वो पुराना वीराना मकान बचपन का वो मासूम प्यार सब याद है मुझे याद है मुझे वो मेरा छोटा सा मैदान। #thirdquote