मनमर्ज़ीयाँ साज़िशें तेरी नाकाम हो रही हैं रानाइयाँ इश्क़ में तेरी फ़रोज़ाँ हो रही हैं खुला आसमां मुझे परवाज़ को बुला रहा है बेड़ियाँ रिवायतों की कमज़ोर हो रही हैं शम्स आज खुशनुमा एहसास दिला रहा है हवाएँ मुहब्बत की पुरज़ोर हो रही हैं 'सफ़र' का आगाज़ है ये, अब थमेगा नहीं पशेमाँ जो थी ख़्वाहिशें आफ़ताब हो रही हैं रानाइयाँ- beauty शम्स- सूरज फ़रोज़ाँ- shining पुरज़ोर-मजबूत पशेमाँ - शरमंदिगी आफ़ताब- सूरज, चमक 🎀 Challenge-442 #collabwithकोराकाग़ज़