समाज किस दिशा में जाएगा इसका निर्धारण शिक्षा, संस्कार और सत्ता द्वारा होता है। तीनों की दशा और दिशा को सही करने की आवश्यकता है। किसी की सोच उसकी व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि शक्ति के ताने-बाने में बने उसके पारिवारिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक और आर्थिक अनुभवों का परिणाम है। यदि समाज स्वतः ही आदर्श स्थिति प्राप्त कर सकता तो सरकारों और संस्कारों दोनों की ज़रूरत ही क्या थी? शक्ति का संचार ऊपर से नीचे की ओर होता है, नीचे से ऊपर की ओर नही। नीतियाँ नीयत तय करती हैं और नीयत अपने अनुरूप नीतियों को गति देती हैं। शिक्षा समाज के चिंतन को बदलने का हुनर रखती है और सरकार सामाजिक और आर्थिक हालात को बदलने की औकात। -सरिता मलिक बेरवाल ©Sarita Malik Berwal #समाज