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बुलंदियों पर जाओ मगर जमीं को मत भूलना थी जो कभी आं

बुलंदियों पर जाओ मगर जमीं को मत भूलना
थी जो कभी आंखों में उस नमी को मत भूलना

फलो-फूलो खूब तरक्की करो जहां में हमेशा
थी जो कभी कमी कुछ उस कमी को मत भूलना

दौलत शोहरत कमा लो मगर इंसानियत रखना
थे जो कभी सफर में उस हमनशीं को मत भूलना

परेशानियां बहुत थे तुम्हें मगर दर्द मत छलकाना
 माता पिता गुरु के चूमे हुए जबीं को मत भूलना

अपनी काबिलियत पर भरोसा रखना घमंड नहीं
हालात जो हो वक्त जैसे महजबीं को मत भूलना

©Munna Kumar
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