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जब दुश्मन दुनिया सारी हो, जब बेज़ारी, लाचारी हो, ज

जब दुश्मन दुनिया सारी हो,
जब बेज़ारी, लाचारी हो,
जब अंधियारे ही रह जाएं,
जब भटकन दिल में भारी हो।

जब शोर भरा हो दुनिया में,
कोई सुनता नहीं हमारी हो,
जब कोई सहारा नहीं रहे,
जब बेचारा पन तारी हो।

जब खुद ही खुद, बस रह जाए,
कोई दूजा नज़र नहीं आवे,
तब अपने को आवाज लगा,
जैसे तेरी रूह पुकारी हो।

शायद तेरा खुद सुन पाए,
शायद आपा भी जग जाए,
शायद हालात बदल जाएं,
शायद ये भी इक पारी हो।

मुश्किल और मुसीबत सारी,
यहां परखने आती हैं,
टूट गए कई लोग यहां पर,
जिनका यकीं उधारी हो।

अपनी सुन आवाज कभी तो,
खुद ही खुद से बतियाले,
रंजोगम क्या चीज़ यहां जब,
खुद की खुद से यारी हो।

सच तो यह कि इस दुनिया में,
खुद के सिवा कोई नहीं अपना,
सच ऐसे ही कब दिखता है
जब भ्रम की बीमारी हो।

सच का दिखना,जिंदापन की,
सही निशानी होता है,
मरा बराबर है वो जिसने,
खुद की याद बिसारी हो

©#मरजानो_मनोजियो (The GamePlanner)
  #मन_में_एकाएक 

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