#छपाक आंखों में था काजल और चेहरे पर चमक थी गुज़री हुई ज़िन्दगी कब तक का सबक़ थी धूप खूब तेज़ थी, चेहरे पर था नक़ाब वो रोक ही नहीं पाया जो चेहरे पर आया तेज़ाब आँख का काजल आँख के अंदर ही चला गया बिना आग लगाए मेरा चेहरा वो जला गया भाग गया नाक़ाम आशिक़ मैं वहीं पड़ी रही पहचान लेती मैं शैतान को लेकिन आँख ही नहीं रही कोई बात रही होगी भीड़ के ये कुछ शक थे इन्सान की सी सूरत में कुछ खड़े वहाँ नपुंसक थे घर से क्यों निकली मैं हाय मैं क्या कर गई चेहरा क्या जला मेरा आत्मा ही मर गई फिर सती हुई थी नारी थी भीड़ देखने वालों की गलती फेंकने वाले कि कहूँ या तेज़ाब बेचने वालों की धर्म की कोई बात नहीं, बुरी तो चीज़ साक़ी है आधी सी बची हूँ मैं आधा सा चेहरा बाक़ी है । #chhapaak #acidattack