मेरा इश्क सिर्फ तुमसे ही मेरे खयालों में तुम्हारे जैसा एक चेहरा नजर आया वो तुम थे या कोई और न जाने कैसा ये मज़र आया। होश आया जब तो खुद को ना मैने अपने घर पाया पता चला के तुम्हें ढूंढने के लिए घर से निकल आया। हां जानता हूं आसान नहीं है तेरे दर तक पहुंच पाना पर जब निकले हैं तो तुझसे ही है अब मिलकर जाना।