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कुछ अंधेरों से रात चुराई कुछ चांद से उसकी चांदनी,

कुछ अंधेरों से रात चुराई 
कुछ चांद से उसकी चांदनी,
कुछ सुर चुराए साज़ों,
कुछ रागों से रागिनी,

कभी वेदों से मंत्र चुराए,
कभी भोले की मृगछाला,
जब मिले कलम से हाथ मेरे,
सब कुछ कागज़ पर लिख डाला।

(Read caption) #Must_read

कुछ अंधेरों से रात चुराई 
कुछ चांद से उसकी चांदनी,
कुछ सुर चुराए साज़ों,
कुछ रागों से रागिनी,

कभी वेदों से मंत्र चुराए,
कुछ अंधेरों से रात चुराई 
कुछ चांद से उसकी चांदनी,
कुछ सुर चुराए साज़ों,
कुछ रागों से रागिनी,

कभी वेदों से मंत्र चुराए,
कभी भोले की मृगछाला,
जब मिले कलम से हाथ मेरे,
सब कुछ कागज़ पर लिख डाला।

(Read caption) #Must_read

कुछ अंधेरों से रात चुराई 
कुछ चांद से उसकी चांदनी,
कुछ सुर चुराए साज़ों,
कुछ रागों से रागिनी,

कभी वेदों से मंत्र चुराए,