चैतन्य परम अविनाशी है वह तुझमें है वह मुझमें है माथे पर त्रिनेत्र है जिसके प्रतीक है दशम द्वार का गले में भुजंग है साधे जैसे क्रोध माला में बांधे सिर पर चन्द्रमा गंगा की धार प्रतीक अमृत जीवन आधार हाथ नाद डमरू श्रृंगार प्रतीक ये "अनहद" का नाद वो ही तुझमें समाया "फकीरा" आवश्यकता केवल विवेक की अपने भीतर जो तुम जाओगे "वो हो तुम" स्वतः पाओगे शिवत्व को पाने के लिए शिव तत्व को जानिए... #शिवत्व #YourQuoteAndMine #fakeera_series #fakeera Collaborating with YourQuote Didi