इस जिंदगी की पतझड़ में सावन की रिमझिम जैसे बरस गए हो तुम, उजड़ा हुआ उपवन था ये मन बसंत बाहर बन गए हो तुम, कब से पथराई थी ये आँखे मेरी इनमे जान भर गए हो तुम, अब ना तड़पाओ इस दिल को इतना की इसकी जान बन गए हो तुम, कह तो दिया चले आओ मेरी सांसों की लय बन गए हो तुम, by neetu sahu✍ #kavita#hindi #nojoto#kavita #