शायद यही नियति है कि बुत बन जाओ और बैठने दो उन पंछियों को अपने ऊपर जो बीट किया करते हैं बस बुत बन जाओ और अपनी पथराई आँखों से निहारो निकलता दिन, ढ़लती शाम,बदलता वक़्त गुजरते लोग ठहरे जज़्बात ना धूप का शिकवा करो ना छावं का गिला ना जुगनुओं का सदक़ा करो ना तितलियों का ज़िक्र बस बुत बन जाओ शायद यही नियति है उदासियाँ 3 @ नियति ©Mo k sh K an #mokshkan #mikyupikyu #उदासियाँ_the_journey #Nojoto #Hindi