पट्टी पड़ी प्रेम की अंखियन पर , दिख ना पायी चाल । पाने की चाह मृगतृष्णा भयी, चलते चलते जल गई सब छाल । धुल उड़ी, अखियन पड़ी, निकली अँसुअन की धार, प्रेम का प्याला टूट पड़ा,सारी मिथ्या कर गयी सागर पार। @धर्मेंद्र Secret Shayar