कहा है उन कदमों के निशान, जो कभी साथ चला करते थे..!! झड़ गए फिर सारे पत्ते, जो बसंत में खिला करते थे...!! महक उठी जब फूल खिला, चारों और खुशहाली थी...!! देखा जब वो चला गया, इंतजार फिर भी किया करते थे...!!