शीर्षक- विप्लव सार कँवल पुष्पों को गूंथ गूंथ राजशाही शान को वारी है इस रात मेरी बस्ती झुलसी कल सुबह तुम्हारी बारी है... चौकों मत, झूठे लगते हो, सहृदय प्रफुल्लित हो जाओ सुनो मर्यादा के हे विभीषण ! Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Gokahani