दिल ये भूला हुआ फसाना था याद बस उनको ये दिलाना था बिना तमहीद कह दिये जज़्बात उनको बस तप्सरा सुनाना था जाने क्यूं खून सा टपकता है मेरा हर ज़ख्म तो पुराना था रोज़े महशर का इंतजार करूँ रोज़े महशर फक्त बहाना था बुर्दबारी भी सीख ली हमने उनसे रिश्ता भी तो निभाना था जिस्म तो रूह का सरापा है रूह को ही तो अब मिटाना था हमको बर्बाद खुद को करना था उनपर इल्ज़ाम बस लगाना था छोड़ दे लज़्त ए हयात समर तेरा इतना ही आबो दाना था