बचपन की याद बन जाता था तू, निशा का दीदार बन जाता था तू, अक्सर मैं पूछता था दादी से,दादा से, जब उतरकर चाँद बन जाता था तू!! प्यार बन जाता था तू , शीतलता की खान बन जाता था तू, लेकर दौड़ते थे बर्तन तुझे पकड़ने के लिए, बर्तन से भी फिसलकर बाहर चला जाता था तू, लगता था बहुत शर्माता था तू! कभी पौधों में मिठास बनकर आता था तू, कभी शीतलता का ज्वार बनकर आता था तू, लगता था ऐसा तेरे धब्बे देख, जैसे अंधेरे महासागर में चपला की रेख!! सुना था लोगों से की तुझे सुंदरता का गामा कहते हैं, यूं ही नहीं तुझे चंदा मामा कहते हैं!! #NojotoQuote चंदा मामा!!