घर आजा परदेसी".....
"कभी जो बे मौसम बरसात आ गई होगी"
"तुझे याद ना मेरी आई किसी से अब क्या कहना"...
यह स्वर भीने भीने कानों में पड़ रहे थे..
इतनी धीमी आवाज कहां से आ रही है??
इतनी भयंकर रात में आखिर गांव में किसको दीवानगी छाई है ??
अक्सर यह आवाजें पिछले पांच छह महीनों से आ ही रही थी.. #Books