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लिख कर कविता चार, बड़े गर्व से मैने कहा यार, तेरे

लिख कर कविता चार, 
बड़े गर्व से मैने कहा यार, 
तेरे लिए मैं, 
क्या-क्या लिख जाता हूँ l
ऐसे थोड़े ही, 
सस्ते में प्यार निभाता हूँ l
आँख दिखा, कमर मटका 
बड़ी लज़्ज़त से जवाव आता है l
इन सब में तेरी कविता कौन है, 
ये सारे मेरे है, मैं हूँ इसमें, 
बता अब क्यों तू मौन है l
शांत वातावरण, अशांत मन हो गया, 
कहा तो सच था उसने, 
मैं ऐं-बें ही झूठा शायर हो गया l

©मुखौटा a hidden feelings लिख कर कविता चार, 
बड़े गर्व से मैने कहा यार, 
तेरे लिए मैं, 
क्या-क्या लिख जाता हूँ l
ऐसे थोड़े ही, 
सस्ते में प्यार निभाता हूँ l
आँख दिखा, कमर मटका 
बड़ी लज़्ज़त से जवाव आता है l
लिख कर कविता चार, 
बड़े गर्व से मैने कहा यार, 
तेरे लिए मैं, 
क्या-क्या लिख जाता हूँ l
ऐसे थोड़े ही, 
सस्ते में प्यार निभाता हूँ l
आँख दिखा, कमर मटका 
बड़ी लज़्ज़त से जवाव आता है l
इन सब में तेरी कविता कौन है, 
ये सारे मेरे है, मैं हूँ इसमें, 
बता अब क्यों तू मौन है l
शांत वातावरण, अशांत मन हो गया, 
कहा तो सच था उसने, 
मैं ऐं-बें ही झूठा शायर हो गया l

©मुखौटा a hidden feelings लिख कर कविता चार, 
बड़े गर्व से मैने कहा यार, 
तेरे लिए मैं, 
क्या-क्या लिख जाता हूँ l
ऐसे थोड़े ही, 
सस्ते में प्यार निभाता हूँ l
आँख दिखा, कमर मटका 
बड़ी लज़्ज़त से जवाव आता है l