دوستو، آداب! آج کا چیلنج ! اپنے چہرے سے جو ظاہر ہے چھپائیں کیسے تیری مرضی کے مطابق نظر آئیں کیسے.. "وسیم بریلوی" اس شعر میں لفظ "مطابق" کا بہت خوبصورت استعمال ہوا ہے۔ آپ بھی اپنے تخیل کی روشنی میں اس لفظ کا استعمال کرتے ہوئے شعر یا نظم لکھیں۔ दोस्तो, आदाब! आज का challenge अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे.. 'वसीम बरेलवी" साहब के इस शे'र में लफ़्ज़ मुताबिक़ का बहुत ख़ूबसूरत इस्तेमाल हुआ है, अपने तख़य्युल की रौशनी में आप भी "मुताबिक़" लफ़्ज़ का इस्तेमाल करते हुए, शे'र या नज़्म लिखें।