इस शाम का इंतज़ार है या फिर उस सुबह का।या फिर जो कटी नहीं उस बेसब्र पेहर का।। तब्दील हो गई जो वाक्यों में रहकर उस तन्हा सफ़र का।मिलीं नहीं जो मुझे पहेली मैं उस ज़िन्दगी के हसर का।। #gghhjj