मेरी आवारगी है बस, तेरे शहर तक रोज निकलते हैं हम, तेरे घर तक गली-ए-कुचा की तेरे, पहचान हो चुकी कदमों को है मेरे, अब इस हद तक कितने हसीं नज़ारे हैं, चाहे इस शहर में पर ठहरते नहीं हैं कदम, तेरी गली आने तक मेरी आवारगी है बस, तेरे शहर तक 🎸🎶 तेरा चौखट पे आ के हम से, जो नज़रें हैं मिलाना बात होती तो है मगर, बस अभी इन आँखों तक होंठों का वो जो है तेरा, यूँ धीरे से है ज़रा मुस्कुराना हाय उतर जाती है इक महक, मेरे इस दिल तक तेरे मुखड़े की इक झलक, पाने को जो निकले थे फिर रुक जाते हैं यह कदम, मेरे यहाँ कुछ पल तक मेरी आवारगी है बस, तेरे शहर तक 🎸🎶 दिल भरता नहीं है मेरा, तेरे दिदार से यह कमबख़्त टकटकी सी बँध जाती है, इन आँखों में बसा लेने तक तेरी गली में ही अगर, कोई घर मिले, तो मैं ले लूँ अरे कुछ तो कम होगी आवारगी मेरी, यूँ तेरे घर तक पर अभी तो चलेगा मिलना हमारा, यूँ ही आवरगी से भरा कुछ पलों की यह मुलाकात, महकती है, जो सारे दिन तक मेरी आवारगी है बस, तेरे शहर तक 🎸🎶 Pic : Designed by me 🙆🏻♂️😛🙈 Source Pic : Pinterest 🧸💓 #anupamsongs #yqsunilmadaan #yqdidi #awaargi #yqlove #yqbaba #yqshayari #yqpoetry