ख़त आज अल्मारी मे बहुत दिनो के वाद एक खत मिला कुछ पुरानी बाते ताजा हुए आखो से आँसु आकर खत पिघला ना जाने कुछ वक्त के लिए सब कुछ ठहेरा... जिसे भुला चुका था, एक कागज के टुकरे ने सभी यादे समेटकर फिर से बुला रखा था क्या कहे फिर से इस दिल को रुला रखा था... ©Yudi Shah आज अल्मारी मे बहुत दिनो के वाद एक खत मिला कुछ पुरानी बाते ताजा हुए आखो से आँसु आकर खत पिघला ना जाने कुछ वक्त के लिए सब कुछ ठहेरा... जिसे भुला चुका था एक कागज के टुकरे ने