हमारी जिंदगी साईकिल की तरह हो गई है बिना पैडल मारे आगे बढ़ेगी नहीं और हम चाहते है की कोई पैडल मार दे मगर ये भूल जाते है की अगर कोई और पैडल मारेगा तो हैंडल भी उसी के हांथ में होगा तो अपनी साईकिल का हैंडल अपने हाथ में रहे उसके लिए पैंडल आपको स्वयं मारने पड़ेंगे