धधक उठती है अंतर्ज्वाला उर उठता है करुनानाद, आपराधिक ताकतें देखो करने बैठी हम पे राज, गलियों में चीरहरण होता है पल में छिनता सती का ताज, अबोध बालिका के शीलहरण पर संताप कर मौन हो जाता समाज, दण्डित हुआ नहीं क्यों वो अपराधी क्यों नहीं दिया सिर धड़ से काट, फिर देखो अपराधी कितना बढ़ते हैं और सहो देखो जुल्म क्या करते हैं, लोकतन्त्र की पावन मन्दिर में पुजारिन से कोई आँख मिलाता है, ये वही बेहया है वही बेशर्म है जो कल तक चढ्ढी का रंग बताता है, कल गलियों की घटना संसद में होगी तो क्या कर लोगे, लोकतन्त्र की पावन मिट्टी दूषित होगी तो क्या कर लोगे, संसद में 'कुत्ता' भौंक के आये ये सबकी कायरता है, सारी मर्यादा भूल चुका हो उसको गोली मारा जाता है।। #Behaya_Aazam #Aazam_ke_Vivadit_Bayan #Bigde_Bol #Advice_for_Everyone #JangalRaaj #Loktantra_ki_Awhelana #Maryadaa #Apraadh_Bodh