माना कि बेइंतहा इश्क है तुझसे, मिटा दूं वजूद खुद का, गवारा नहीं। माना कि टूट गए हैं ख्वाब कई, मैं खुद भी टूट जाऊं, गवारा नहीं। कीमत कम हो गई है ज़माने में ईमान की। मैं भी बेईमान हो जाऊं ,गवारा नहीं। शिकस्तें तोड़ दिया करती हैं हौसलों को अक्सर, एक हार से लौट जाऊं, गवारा नहीं। #गवारा_नहीं