घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, भीड में तुमको धुंड कर भीड़ में खुद को खो बैठता हूं, मजबूर हूं नहीं लेकिन खुद को मजबूर कर लेता हूं, हस्ते हस्ते तूमको याद कर, अपनी मुस्कुराहट खो बैठता हूं, नींद में रह कर यादों को सपना बना देता हूं, सुकून से जीने का सोच कर अपनी चैन भि खो बैठता हूं, तुम हो नहीं मगर फिर भी आज तुम मुझे सताती हो, तुम हो नहीं मगर फिर भी आज तुम मुझे रुलाती हो, जब रहना नहीं था तोह यादों के समुंदर कियू बनाए तुमने, जब रहना नहीं था तोह मेरा दिल चुरा कर तोड़ कियु दिया तुमने, आगे तो बढ़ गई तुम मगर मै अब भी वही हूं, शायद आसान था तुम्हारे लिए आयी थी मुस्कुराहट बन के और दे कर गई सिर्फ आंसू....... #sad #breakup #poem #mywords #myfeelings #poetry #nojotopoem