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लुटा दी सारी मोहब्बत उस एक 'लाश' पर आज, वर्षों से.

लुटा दी सारी मोहब्बत उस एक 'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।

जाने कहाँ-कहाँ से ढूँढकर, वो अच्छाई ले आते हैं,
उनकी गुज़री यादों से 'झूठलाई' सच्चाई ले आते हैं,
गिना दी सारी खूबी... उस एक  'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।

जाने कहाँ जाती है 'अहमियत' जब क़रीब होते हैं,
दिखता नहीं कोई, बिगड़े हुए से जब नसीब होते हैं,
भुला दी सारी गुस्ताख़ी, उस एक 'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।

लुटा दी सारी मोहब्बत उस एक 'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था। लुटा दी सारी मोहब्बत उस एक 'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।

जाने कहाँ-कहाँ से ढूँढकर, वो अच्छाई ले आते हैं,
उनकी गुज़री यादों से 'झूठलाई' सच्चाई ले आते हैं,
गिना दी सारी खूबी... उस एक  'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।
लुटा दी सारी मोहब्बत उस एक 'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।

जाने कहाँ-कहाँ से ढूँढकर, वो अच्छाई ले आते हैं,
उनकी गुज़री यादों से 'झूठलाई' सच्चाई ले आते हैं,
गिना दी सारी खूबी... उस एक  'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।

जाने कहाँ जाती है 'अहमियत' जब क़रीब होते हैं,
दिखता नहीं कोई, बिगड़े हुए से जब नसीब होते हैं,
भुला दी सारी गुस्ताख़ी, उस एक 'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।

लुटा दी सारी मोहब्बत उस एक 'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था। लुटा दी सारी मोहब्बत उस एक 'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।

जाने कहाँ-कहाँ से ढूँढकर, वो अच्छाई ले आते हैं,
उनकी गुज़री यादों से 'झूठलाई' सच्चाई ले आते हैं,
गिना दी सारी खूबी... उस एक  'लाश' पर आज,
वर्षों से.. जिसका चेहरा देखना 'गंवारा' भी न था।