तुम मुस्कुरा दो एक बार तो फूल खिल उठते है देख के मुस्कान तुम्हारी, दुश्मन भी जल उठते है तुम चलो जब जब लहराती हवा सी कभी ह्रदय रूपी वन में जैसे मोर नाँच उठते है तुम जब जब जुल्फ खोलो काली घटा सी अपनी मानो रातों के वो जुगनू भी गुन गुना उठते हैं तुम बोलती हो जब अपने मंद सुरीले अंदाज़ में तो हर तरफ मानो सितार बज उठते हैं जिस तरफ देख लो तुम अपनी नज़र भर के बचता नही कोई सब गिर गिर के संभलते हैं हम क्या तारीफ करें अब तुम्हारी, तुम वो हो जिस से मिलने को भीड़ के सैलाब उमड़ उठते हैं #the.poem_writer मुस्कुरा दो