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हाथ पकड़ कुछ दूर चले,, हाथ पकड़ कुछ दूर चले, मनम

हाथ पकड़ कुछ दूर चले,,

हाथ पकड़ कुछ दूर चले,
 मनमीत बनी और गले मिले, कुछ

 कहे बिना, जिनको मझधार में छोड़
 गए ,सोचा है कभी उनका क्या होगा।

इस तरह किसी को देके दगा,
कितने दिन, कोई खुशी से जी लेगा।

कुदरत का इंसाफ है इक, कोई छोड़
 उसे भी चल देगा, उसका भी हस्र वही होगा।

©Anuj Ray
    # हाथ पकड़ कुछ दूर चले,,
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Anuj Ray

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# हाथ पकड़ कुछ दूर चले,, #शायरी

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