ग़रीब रोटी ही नहीं, डाँट भी खा रहे है। वो सब फ़कीर नहीं है साहब। जिन्हें तुम खिला रहे या तुम्हारे दर पे मागने आ रहे है। Shah Talib Ahmed #shahsahabpoetry #poetrybucket #lockdown