फिर से बच्चा बनने को जी करता है। हर पल याद आता बचपन प्यारा.... वो जीना चाहूं मै फिर से दुबारा.... ना धूप का डर था, ना सर्दियों से डरते हम। हर पल करते मस्ती, मस्त रहते थे हम। कभी खो-खो, कभी बैडमिंटन, कभी कैरम, कभी लूडो,,,,,, सखियों संग करते गुड्डे-गुड़ियों की शादी का खेल.... बात बात पर रूठ कर फिर से मिल जाना... आसान था ये, लड़ना झगड़ना और मिलना मिलाना। एक पल में ..... अंगूठे को दांतों से छू कर कट्टी हो जाना,,,,,, फिर अगले ही पल मे.... हाथं की उंगली मिला कर फिर से मिल जाना, ये था बचपन हमारा सुहाना। वापस यही जीने को जी करता है, हां,,, फिर से आज बच्चा बनने को जी करता है। टिकोरा -अमिया बरफ़ -आइसक्रीम #YourQuoteAndMine Collaborating with Akhilesh Singh