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हर रोज एक सुबह आ रही थी। साथ में डूबती शाम ला रही

हर रोज एक सुबह आ रही थी।
साथ में डूबती शाम ला रही थी।।
जिंदगी गुजरती रही यूं ही सुबह शाम में।
ग़ौरतलब था जिंदगी बीती जा रही थी।।

©Shubham Bhardwaj
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