दूर के ढ़ोल सुहाने (लघु कथा) #collbchallenge #कोराकाग़ज़ #कथा #दूरकेढोलसुहाने #विशेषप्रतियोगिता प्रणाम गुरुदेव, आयुष्मान भव: विक्रम बैठो, फिर आज का पाठ शुरू करते हैं । आज हम मुहावरे का अर्थ सीखेंगे । आज का मुहावरा है "दूर के ढ़ोल सुहाने" अर्थात दूर की वस्तु अच्छी लगना । हमे दूर की सभी वस्तुएँ अच्छी लगती हैं पर जब पास से हम उसे देखते है उसका अनुभव करते हैं तब हमे उसका पता लगता है । समझ आया, जी गुरुदेव। ठीक है अब कल प्रातः अध्ययन करेंगे। प्रणाम गुरुदेव। विक्रम घर लौट आता है। वो अपने मित्र से मिलने जाता है वहाँ दोनों मित्र बात करते है ।दोनों के मन की इच्छा होती हैं नगर भ्रमण की मन मे उत्सुकता जागती हैं। दोनों इतवार को नगर भ्रमण पर जाने की योजना तैयार करते हैं। योजना तय कर विक्रम घर लोटा आता है ।