खून भी ऑटोमोबाइल हो गया...! यादें तेरी आज कल मंदी की तरह हो गई है, कितना भी याद कर लो बढ़ती ही नहीं। भरपूर कोशिश की है हमने दिल से पर यह संभालती ही नहीं। जानें कितने अर्थशास्त्रीयों से पूछा है सुधार-ए-हल मंदी का ... सबने कहा यही हाल है आज ज़माने का । यादें तेरी आज कल मंदी की तरह हो गई है, कितना भी याद कर लो बढ़ती ही नहीं। सोचता हूं मिलकर द्विपक्षीय मुलाकात करले ज्यादा नही अपने एहसास की बीती बातें करले की जो थे वो हम रहे नहीं, अब जो है उसका किसी को पता नहीं । दिल की धडक़न सुस्त अर्थव्यवस्था हो गई है। मन्दी के चलते खून भी ऑटोमोबाइल हो गया है । गर्मी तो है, पर तेजी का पता नहीं। याद तेरी अब बिलकुल मन्दी की तरह होंगी है। खून भी ऑटोमोबाइल हो गया...! #यादें तेरी आज कल #मन्दी की तरह हो गई है, कितना भी याद कर लो बढ़ती ही नहीं। भरपूर कोशिश की है हमने दिल से पर यह संभालती ही नहीं। जानें कितने #अर्थशास्त्रीयों से पूछा है #सुधार-ए-हल मंदी का ... सबने कहा यही हाल है, आज ज़माने का ।