कभी कभी लगता है जैसा असलियत में बिल्कुल भी नहीं होता है वैसा.. देखो ना.. कल तलक जो शामिल था मेरे अपनों में , आज वो रंग भर रहा है किसी और के सपनों में l अब लोगों की भी क्या ही पहचान की जाये , जो बड़े फ़क्र से, बुलंद होकर अपने होने का दावा किया करते थे जब वो ही बदल जाएं l क्या इसके लिए भी कोई अंतरराष्ट्रीय मानक बनाया जाए ? जिसका उल्लंघन करने पर उन्हें सज़ा मुकर्रर की जाए.. ✍🏻✍🏻.. Sparsh #mypoetry #21stcentury #people