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" रखने को मैं कौन सा हिसाब रखु , तेरे मुहब्बत की अ

" रखने को मैं कौन सा हिसाब रखु ,
तेरे मुहब्बत की अब कौन सी पहचान रखु ,
अब ख्वाहिशें किस मौज-ए-तबस्सुम से गुजरे , 
अब मैं तुझे कितने इत्मीनान से रखु . " 

                        --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " रखने को मैं कौन सा हिसाब रखु ,
तेरे मुहब्बत की अब कौन सी पहचान रखु ,
अब ख्वाहिशें किस मौज-ए-तबस्सुम से गुजरे , 
अब मैं तुझे कितने इत्मीनान से रखु . " 

                        --- रबिन्द्र राम 

 #हिसाब #मुहब्बत #ख्वाहिशें #मौज-ए-तबस्सुम #इत्मीनान
" रखने को मैं कौन सा हिसाब रखु ,
तेरे मुहब्बत की अब कौन सी पहचान रखु ,
अब ख्वाहिशें किस मौज-ए-तबस्सुम से गुजरे , 
अब मैं तुझे कितने इत्मीनान से रखु . " 

                        --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram " रखने को मैं कौन सा हिसाब रखु ,
तेरे मुहब्बत की अब कौन सी पहचान रखु ,
अब ख्वाहिशें किस मौज-ए-तबस्सुम से गुजरे , 
अब मैं तुझे कितने इत्मीनान से रखु . " 

                        --- रबिन्द्र राम 

 #हिसाब #मुहब्बत #ख्वाहिशें #मौज-ए-तबस्सुम #इत्मीनान