हम दौर-ए-जवानी से ये सितम काटे जा रहे हैं, हम यादों के सिलसिलों में, ख़ुद को यूॅं बाॅंटे जा रहें है। वो मुखड़ा किताबों में करके, ऑंसू छुपाते हैं, हम टूटे मील के पत्थरों में, अपना दर्द ढूॅंढें जा रहे हैं। कहानियों में हमने उनसे खुलकर इज़हार किया, उनके सिले-सिले तकिए, उधर का हाल कहे जा रहे हैं। हमने यादों के झरोखों से, उन्हें देखा बहुत बार, और वो तो मेरी यादों में सारी घड़ियाॅं छुपाए जा रहे हैं। तोहफे में मिली थी, उनसे उनकी यादें हमको, हम उनकी यादों को अपनी विरासत किए जा रहे हैं। 'भाग्य' मैं सोचता था दीवाना न होगा हम जैसा, वो तो इश्क करके हमें इश्क में कच्चा बताए जा रहे हैं। ♥️ Challenge-820 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।