जब से मैं कुछ बड़ा हुआ हूं, दो राहों पर खड़ा हुआ हूं। रोग लगा है इश्क का तुझको, राह में उसकी पड़ा हुआ हूं। कब तब इग्नोर करेगी वो, उम्मीदों को पकड़ा हुआ हूं। खोया बचपन मैंने अपना, काम खातिर कुबड़ा हुआ हूं। खेल सियासी में उलझ गया, बिना बात के रगड़ा गया हूं। गांजा चरस अफीम दारू में, ना जाने क्यूं सड़ा हुआ हूं। कच्चा था तब तो अच्छा था, अब क्यूं 'बादल' कुड़ा हुआ हूं। #shayri #yuwa #nsha #ishq #mohbbat #siyasat #jane_kyun