बेमतलब की ख्वाहिशों का मैं शौक़ नहीं रखता, तुम्हें अतीत की गलती कहने की हिमाकत नहीं करता, पीछे जाकर क्या बदलेंगे उस बर्बादी के खाक ए मंजर को, अब मैं अपने कत्ल ए खंजर को किसी को दिया नहीं करता।। #113 #Past