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White तप्त धरातल व्याकुल मन, झुलसे हुए सब वन-उपवन

White तप्त धरातल व्याकुल मन, झुलसे हुए सब वन-उपवन
आँख बिछाए ढूँढ़ रहे हैं कहाँ छुपे हो मेघ सघन?

विरह-गिरह है गाँठ पड़ी है विरहन की हर सिसकी में
उसके मुख की घनी उदासी दिखती सरसों हल्दी में
विदा-समय बोले थे साजन अबके सावन आऊँगा
आऊँगा ऐसे कि तुम्हें छोड़ कभी न अब जाऊँगा
पर है लगे आजन्म सहेगी सजन से अपने ये बिछड़न
तप्त धरातल व्यकुल मन...

©Ghumnam Gautam #sad_shayari  हिंदी कविता बारिश पर कविता
#ghumnamgautam 
#गाँठ 
#बिछड़न
White तप्त धरातल व्याकुल मन, झुलसे हुए सब वन-उपवन
आँख बिछाए ढूँढ़ रहे हैं कहाँ छुपे हो मेघ सघन?

विरह-गिरह है गाँठ पड़ी है विरहन की हर सिसकी में
उसके मुख की घनी उदासी दिखती सरसों हल्दी में
विदा-समय बोले थे साजन अबके सावन आऊँगा
आऊँगा ऐसे कि तुम्हें छोड़ कभी न अब जाऊँगा
पर है लगे आजन्म सहेगी सजन से अपने ये बिछड़न
तप्त धरातल व्यकुल मन...

©Ghumnam Gautam #sad_shayari  हिंदी कविता बारिश पर कविता
#ghumnamgautam 
#गाँठ 
#बिछड़न
ghumnamgautam7091

Ghumnam Gautam

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