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क्या लिखूँ रखता हूं ख़ुद को खामो

क्या लिखूँ रखता हूं ख़ुद को खामोश और चिंतनशील 
ये सोचकर ,
कभी लबों पर मीठे बोल फूटेंगे ।
कभी मिलेगा हमें नसीब से ज्यादा ।।
छोटी छोटी उपलब्धियों या उपहारों पर,
मुस्कुराने से क्या फ़ायदा ??

जिन्दगी एक जंग है,
लड़ाई हर सांस के लिए ।
कोई रखे तो कैसे रखे जगह 
दिलों में एहसास के लिए ??
चलो माना राजेश ,
नहीं बचा सके वक्त सभी के लिए ।
कुछ तो वक्त बचाना चाहिए था तुम्हे,
तुम्हारे अपने खास के लिए ।।

अपनी ही उलझनों में उलझकर,
भुल जाते हैं लोग अपना ही वायदा ।
छोटी छोटी उपलब्धियों और उपहारों पर 
मुस्कुराने का क्या फ़ायदा??

©Rj_Rajesh_बली #PoetInYou
क्या लिखूँ रखता हूं ख़ुद को खामोश और चिंतनशील 
ये सोचकर ,
कभी लबों पर मीठे बोल फूटेंगे ।
कभी मिलेगा हमें नसीब से ज्यादा ।।
छोटी छोटी उपलब्धियों या उपहारों पर,
मुस्कुराने से क्या फ़ायदा ??

जिन्दगी एक जंग है,
लड़ाई हर सांस के लिए ।
कोई रखे तो कैसे रखे जगह 
दिलों में एहसास के लिए ??
चलो माना राजेश ,
नहीं बचा सके वक्त सभी के लिए ।
कुछ तो वक्त बचाना चाहिए था तुम्हे,
तुम्हारे अपने खास के लिए ।।

अपनी ही उलझनों में उलझकर,
भुल जाते हैं लोग अपना ही वायदा ।
छोटी छोटी उपलब्धियों और उपहारों पर 
मुस्कुराने का क्या फ़ायदा??

©Rj_Rajesh_बली #PoetInYou