जब मैं सूर्यास्त और चन्द्रमा के सौंदर्य की प्रसंशा करता हूँ, मेरी आत्मा इसके निर्माता के पूजा के लिए विस्तृत हो उठती है। --महात्मा गांधी Mahatma gandhi ke Vichar