मेरी दोस्त मेरी साथी... मेरी दोस्त मेरी साथी न अकसर मुझे याद आती हैं, मेरे ख्यालों में आती हैं तो ठहर जाती हैं, मुझे मेरे लिए अक्सर खड़े होना सिखाती हैं, अपना भी ध्यान रखो न ये कह जाती हैं, तुम ज्यादा सोचो मत कुछ ऐसे मेरा खयाल रखना जानती हैं, कहती हैं कम पर अब मुझे डांट भी लगाती हैं, और अच्छा लगता है जब वो हक जताती हैं, कहती हैं तुम भगवान हो सब predict करना है, ऐसे बातों को टाल जाती हैं, पर सच तो वो भी जानती हैं, मैं भी जानती हूं, उनका और मेरा साथ तो हमेशा का है, तभी तो वो मेरी साथी कहलाती हैं, पर एक सफर जिसके वजह से ये साथ मिला वो खत्म होने वाला है, ये वो अभी मन ही मन झुठलाती हैं, क्यों की उन्हें भी पता है, की फिर बहुत कुछ बदल जाएगा जो वो भी नही चाहती हैं और मैं भी नही चाहती हूं, पर हां उनसे इतना कहना है कि नेहा कुछ भी बदलेगा स्नेह तो वही रहेगा न, बीच में भले ये सेमेस्टर की पढ़ाई कल को खत्म भी हो जाती हैं, कुछ भी बदलेगा पर साथी तो आप रहेंगी न भले साथ रहने की वजह बदल भी जाती हैं, मेरी साथी आप हैं और ये बात आप भी जानती हैं, और आप भी मुझे अपना साथी मानती हैं, इतना ही तो चाहिए की आप और हम साथ रहें बस साथी को याद रखने के लिए वजह कम मत करिएगा भले अब कुछ महीनों बाद आपको आपकी साथी नही भी पढ़ाती हैं... मेरी दोस्त मेरी साथी.... #स्नेह_के_साथी #साथी #mywritingmywords #mywritingmythoughts #yqdidi #yqhindi #yqhindiwriters #mywritingmymood