मैं तलबगार था आज़ादी का उस ख़ुदा से जो खुद क़ैद है इंसान की बनाई चार दीवारों में मैं खुशकिस्मत हूँ चार दिनों में रुखसत हो जाऊँगा वो बदनसीब है जो हमेशा वहीं रहेगा ✨ #Truth #hindi_poetry #nojoto_poetry #khayalat #nojoto #ek_najm #kuch_bhi #pure_work_of_fiction