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रात और दिन का फ़ासला हूँ मैं  ख़ुद से कब से नहीं म

रात और दिन का फ़ासला हूँ मैं 
ख़ुद से कब से नहीं मिला हूँ मैं 

ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में पर 
लोग कहते हैं क़ाफ़िला हूँ मैं 

ऐ मोहब्बत तिरी अदालत में 
एक शिकवा हूँ इक गिला हूँ मैं 
रात और दिन का फ़ासला हूँ मैं 
ख़ुद से कब से नहीं मिला हूँ मैं 

ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में पर 
लोग कहते हैं क़ाफ़िला हूँ मैं 

ऐ मोहब्बत तिरी अदालत में 
एक शिकवा हूँ इक गिला हूँ मैं