रात और दिन का फ़ासला हूँ मैं ख़ुद से कब से नहीं मिला हूँ मैं ख़ुद भी शामिल नहीं सफ़र में पर लोग कहते हैं क़ाफ़िला हूँ मैं ऐ मोहब्बत तिरी अदालत में एक शिकवा हूँ इक गिला हूँ मैं